नेपाल में ओली के इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार के रूप में चयन
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नेपाल में ओली के इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार के रूप में चयन

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क•••••• 

नेपाल में केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में चुने जाने की सबसे बड़ी वजह उनकी निष्पक्ष और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त छवि, न्यायपालिका में ऐतिहासिक योगदान और भारत से गहरा संबंध माना जा रहा है।

सुशीला कार्की कौन हैं

सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं, जिन्होंने 2016-2017 तक सुप्रीम कोर्ट की कमान संभाली वह भ्रष्टाचार के खिलाफ और न्याय आधारित प्रशासन की समर्थक रही हैं, इसीलिए युवा आंदोलनकारियों (Gen-Z) ने उन्हें अपना नेता चुना।

जन्म व जन्मस्थान

सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर, नेपाल में हुआ था। वे सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं।

शिक्षा

उन्होंने 1972 में विराटनगर महेंद्र मोरंग परिसर से बीए किया 1975 में भारत के वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एमए किया 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय, नेपाल से एलएलबी (कानून) की डिग्री प्राप्त की।

‎सुशीला कार्की का पारिवारिक जीवन 

सुशीला कार्की का विवाह नेपाली कांग्रेस नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुआ, जिनसे उनकी मुलाकात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान हुई थी वह विराटनगर के कार्की परिवार से आती हैं और शादी के बाद सुबेदी परिवार में गईं।

भारत से संबंध

कार्की का भारत से गहरा रिश्ता है उन्होंने BHU से अध्ययन किया, बनारस के दिनों को हमेशा याद करती हैं और वहां के संबंधों को लेकर भावुक हैं। स्वयं कहती हैं कि भारत और नेपाल के लोगों के बीच संबंध गहरे, पारिवारिक और प्रेमपूर्ण हैं दोनों देश एक-दूसरे के भाई-बहन जैसे हैं।

मोदी और भारत पर विचार

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन करती हूं, मेरे मन में उनके लिए अच्छी राय है” साथ ही उन्होंने माना कि “दो राष्ट्रों के नेताओं का संबंध अलग होता है, लेकिन लोगों का आपसी संबंध हमेशा बहुत अच्छा है” उन्होंने ‘गंगा किनारे हॉस्टल’, बीएचयू के शिक्षक और दोस्तों को आज भी याद करने की बात कही।

क्यों चुनी गईं?

सुशीला कार्की भ्रष्टाचार विरोधी, निष्पक्ष छवि, न्यायिक संतुलन और भारत से सकारात्मक संबंधों के कारण नेपाल के युवा आंदोलनों की पहली पसंद बनीं। ओली के शासन में भारत-नेपाल संबंधों में आई तल्खी के बाद जनमत ऐसी नेतृत्व क्षमता चाहता था, जिससे पड़ोसी संबंध भी मजबूत हों।

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