नेपाल में सेना ने संभाली कमान सड़कों पर सेना कि गश्त शुरू
रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••
नेपाल में यह आंदोलन भ्रष्टाचार सोशल मीडिया और वेबसाइट को बैन करने के खिलाफ सोमवार को शुरू हई और युवाओं के भारी विरोध और जबरदस्त प्रदर्शन हिंसा और अगजनी से भी जदा हालात बिगड़ गई पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को जिंदा जलाए जाने की सनसनीखेज घटना से शुरू हुआ जन आक्रोश अब राजधानी काठमांडू की सड़कों से लेकर सत्ता के गलियारों तक फैल चुका है। संसद भवन को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। इसी बीच प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया है, और हालात पर काबू पाने के लिए सेना ने कमान संभाल ली है।
राजधानी में कर्फ्यू और हवाई सेवाएं ठप
काठमांडू की सड़कों पर सेना के जवान गश्त कर रहे हैं। सरकार ने पूरे शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है। काठमांडू एयरपोर्ट से सभी उड़ानें रोक दी गई हैं। सुरक्षा बलों को देखते ही प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हट रहे, बल्कि भीड़ हर मोर्चे पर ललकार रही है।
संसद भवन को फूंका

सबसे बड़ा हमला संसद भवन पर हुआ। गुस्साई भीड़ ने राजधानी में घुसकर संसद को आग के हवाले कर दिया। चारों ओर धुआं छा गया और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। बचावकर्मी घंटों बाद आग पर काबू पाने में लगे रहे।
प्रधानमंत्री का इस्तीफा, सेना की तैनाती
प्रधानमंत्री ओली ने उपद्रव और हिंसा की बढ़ती आग को देखते हुए इस्तीफा सौंप दिया। सरकार ने हालात पर नियंत्रण पाने के लिए सेना को पूर्ण अधिकार सौंप दिए हैं। काठमांडू समेत कई शहर अब सीधे सेना की निगरानी में आ गए हैं।
जनता की नाराज़गी और अपील
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों को कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की चेतावनियां भी रोक नहीं पा रही हैं। विरोध जताने के लिए युवक लगातार सड़कों पर डटे हुए हैं। स्थिति इतनी विस्फोटक हो चुकी है कि किसी भी वक्त और बड़े टकराव का खतरा है।
पूर्व प्रधानमंत्री के पत्नी को जिंदा जलाया
नेपाल में आक्रोशित लोगों ने पूर्व प्रधानमन्त्री झलनाथ खनाल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार को जिंदा जलाया जिसे अस्पताल लेजाते समय रास्ते में ही मौत हो गई नेता मंत्रियों को सड़कों पर दौड़ा दौड़ा कर आक्रोषित लोगों ने बेरहमी से पिटा इस बीच कई सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी समूहों ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है। उनका कहना है कि राजनीतिक असहमति को हिंसा में बदलना नेपाल की लोकतांत्रिक नींव को कमजोर करेगा।
हालात पर गहरी चिंता
नेपाल की राजधानी में बनी इस स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द राजनीतिक समाधान नहीं निकला तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
