कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका का स्पष्ट रुख भारत की कूटनीतिक स्थिति को मिला मज़बूती का संबल
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कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका का स्पष्ट रुख भारत की कूटनीतिक स्थिति को मिला मज़बूती का संबल

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

वॉशिंगटन/नई दिल्ली अमेरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कश्मीर मसले पर बड़ा बयान देते हुए साफ कहा है कि *यह भारत और पाकिस्तान के बीच का सीधा मुद्दा है और अमेरिका इसमें किसी भी तरह के हस्तक्षेप की रुचि नहीं रखता।* यह बयान भारत की कूटनीतिक स्थिति को एक मजबूत आधार देता है क्योंकि भारत लंबे समय से यह दोहराता रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय विषय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई गुंजाइश नहीं है।  

अमेरिकी अधिकारी के इस बयान के बाद यह भी साफ हो गया है कि वॉशिंगटन की वर्तमान नीति वही है जो दशकों से चली आ रही है। अधिकारी ने कहा,अमेरिका की दीर्घकालिक नीति स्पष्ट है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच का सीधा मुद्दा है। हालाँकि, अगर दोनों पक्षों की ओर से अमेरिका से मदद या सहयोग माँगा जाता है, तो हम अपना योगदान देने को तैयार हैं। 

 भारत का रवैया: बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर  

भारत लगातार यह स्पष्ट करता आया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद पर होगी। किसी तीसरे देश या संगठन की भूमिका इसमें स्वीकार्य नहीं है। भारत मानता है कि पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और हिंसा कश्मीर को जटिल बनाता है और जब तक यह बंद नहीं होता, किसी प्रकार की वार्ता का सवाल ही नहीं।  

 ट्रंप का पुराना दावा और अमेरिकी सफाई  

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने तथा संघर्ष विराम कराने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दावे पर विदेश विभाग ने सफाई देते हुए कहा,यह सच है कि अमेरिका उस संकट के समय दोनों पक्षों से संवाद में शामिल था और युद्धविराम सुनिश्चित कराने में योगदान दिया था। लेकिन हमारी स्थिति हमेशा यही रही है कि यह द्विपक्षीय मसला है।  

भारत की कूटनीति को मिला समर्थन  

अमेरिकी अधिकारी का यह बयान नई दिल्ली की नीति और दलीलों की पुष्टि है। लंबे समय से भारत यह कहता आया है कि जम्मू-कश्मीर पर बातचीत केवल भारत और पाकिस्तान के बीच हो सकती है। खासकर पिछले कुछ वर्षों में भारत ने यह संकेत और अधिक दृढ़ता से दिया है कि सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद को समाप्त किए बिना किसी भी वार्ता का माहौल संभव नहीं।  

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर से भारत कई बार इस रुख के लिए चुनौती का सामना करता रहा है, लेकिन अमेरिका जैसे प्रभावशाली देश की इस साफगोई ने भारत की रणनीतिक स्थिति और मजबूत कर दी है। 

 

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