अलविदा अंग्रेजों के जमाने का जेलर
रिपोर्ट:रांची डेस्क
हास्य के महारथी असरानी नहीं रहे
मुंबई, 21 अक्टूबर बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता गोवर्धन असरानी का सोमवार की सुबह मुंबई के जुहू स्थित भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे और पिछले कुछ दिनों से फेफड़ों के संक्रमण और सांस लेने में तकलीफ से जूझ रहे थे। उनके निधन से हिंदी सिनेमा जगत में शोक की लहर है।
हिंदी फिल्मों के इतिहास में असरानी का नाम उन कलाकारों में दर्ज है जिन्होंने हर युग में अपने हावभाव, संवाद अदायगी और हल्के-फुल्के अभिनय से दर्शकों को न केवल हंसाया बल्कि सोचने पर भी मजबूर किया।
शुरुआत जयपुर से, पहचान मुंबई में
1941 में जयपुर में जन्मे असरानी ने बचपन से ही अभिनय में रुचि दिखाई थी। उनके पिता कार्पेट कंपनी में मैनेजर थे, लेकिन असरानी का मन व्यापार में नहीं, बल्कि कला में रमता था। पढ़ाई के बाद उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से अभिनय का प्रशिक्षण लिया।
उनकी मुलाकात फिल्मकार हृषिकेश मुखर्जी और गीतकार-निर्देशक गुलजार से हुई, जिन्होंने उनके अभिनय कौशल को पहचान कर सही दिशा दी। असरानी ने 1967 में ‘हरे कांच की चूड़ियां’से डेब्यू किया, पर उन्हें असली पहचान मिली 1971 की फिल्म ‘गुड्डी’ से, जहां उनके सादे और प्यारे अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
‘शोले’ के जेलर से ‘दे दना दन’ के मामू तक
असरानी ने अपने लंबे करियर में 350 से अधिक फिल्मों में काम किया। उनके किरदार विविधता से भरे रहे—कभी ‘शोले’ के यादगार जेलर बने, तो कभी ‘बावर्ची’ में सादगी का चेहरा, तो कभी ‘दे दना दन’ में मस्तीभरा मामू।
उनकी हास्य प्रतिभा इतनी सहज थी कि वे हर संवाद में जीवन भर देते थे। खुद असरानी कहा करते थे, “हंसाना आसान नहीं होता, लेकिन जो हंसा दे, वही असली कलाकार होता है।
फिल्मी जगत में शोक की लहर
फिल्म इंडस्ट्री के तमाम दिग्गज कलाकारों ने असरानी के निधन पर गहरा दुख जताया है।
अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया पर लिखा कि असरानी केवल हास्य अभिनेता नहीं, बल्कि एक सोचने वाला कलाकार थे। सलमान खान, अक्षय कुमार, जॉनी लीवर और परेश रावल ने भी उन्हें सिनेमा का अनमोल रत्न बताया।
फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) ने कहा कि असरानी फिल्मों में हास्य के प्रतीक थे और नए कलाकारों के लिए प्रेरणा बनकर रहेंगे।
यादों में मुस्कान छोड़ गए असरानी
असरानी का अंतिम संस्कार मंगलवार को मुंबई में पारिवारिक सदस्यों और फिल्म जगत के सहयोगियों की उपस्थिति में किया गया।
उनकी स्मृतियों में वे सदा जीवित रहेंगे जब भी किसी चेहरे पर मुस्कान आएगी, कहीं न कहीं असरानी की कॉमेडी उसे रोशन करेगी।
