हजारीबाग में एसीबी ठग गिरोह में निकाला एक व्यक्ति अधिवक्ता
रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••
हजारीबाग में पकड़े गए फर्जी एसीबी गिरोह का मामला गुरुवार को ‘कानून बनाम कानून’ के टकराव में बदल गया। कोर्ट परिसर में पुलिस और वकीलों आमने-सामने आ गए और घंटों तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा।
मामला कैसे शुरू हुआ
पदमा और कटकमसांडी पुलिस ने मंगलवार को संयुक्त अभियान में नदुवीर राम, महेश कुमार पासवान, अयोध्या नारायण पासवान और धनेश्वर राम को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ये लोग खुद को एसीबी अधिकारी बताकर मेडिकल दुकानदारों से पैसे वसूलते थे। पुलिस की जांच में सामने आया कि गिरोह ने पहले भी कटकमसांडी इलाके के एक मेडिकल स्टोर में धोखाधड़ी की थी।
कोर्ट में पेशी पर मचा बवाल
गुरुवार को इन आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। पेशी के दौरान घटनाक्रम अचानक बदल गया जब गिरफ्तार आरोपी महेश पासवान खुद अधिवक्ता निकले। कोर्ट परिसर में उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें बेरहमी से पीटा और हथकड़ी पहनाकर पेश किया। यह सुनते ही अधिवक्ता संघ के सदस्य भड़क उठे और मौके पर मौजूद एक पुलिसकर्मी से हाथापाई भी हो गई।
वकीलों का पक्ष

अधिवक्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार किसी भी अधिवक्ता को दोष सिद्ध होने से पहले हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती। उनका आरोप है कि पुलिस ने नियमों का उल्लंघन कर अधिवक्ता की गरिमा ठेस पहुंचाई है। वकीलों ने जिला न्यायाधीश से इस घटना पर कड़ा संज्ञान लेने और संबंधित थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजकुमार राजू ने साफ कहा कि “कानून का पालन पुलिस और वकील दोनों को करना चाहिए। अगर किसी के भी संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा तो जनता विरोध करेगी।”
पुलिस का तर्क
पुलिस का कहना है कि आरोपी महेश पासवान का वकील होना उन्हें अपराध से मुक्त नहीं करता। उन पर और उनके साथियों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हैं। पुलिस का यह भी कहना है कि कथित फर्जी एसीबी गिरोह की गतिविधियों से नाराज ग्रामीणों ने भी चारों को पीटा, लेकिन सवाल यह है कि न्याय अपने हाथ में लेने का अधिकार ग्रामीणों को किसने दिया।
पेंच में फंसा मामला
गिरोह के सदस्य यह दावा कर रहे हैं कि वे एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के साथ जुड़े हैं और स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार की जानकारी जुटाकर एजेंसी को देते हैं। लेकिन पुलिस इसे महज ठगी का हथकंडा बता रही है। इधर कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को गंभीर मानते हुए महेश पासवान का बयान दर्ज किया है।
बड़ा सवाल
अब टकराव इस बात पर आ खड़ा हुआ है कि क्या किसी अपराध के आरोपी को उसका पेशा—वकील होने की पहचान—विशेष संरक्षण देगा, या फिर कानून का डंडा सब पर समान रूप से चलेगा। अदालत के अगले आदेश और जांच की दिशा इस संवेदनशील विवाद का भविष्य तय करेंगे।
