रांची का नन्हा मूर्तिकार और माता का भक्त
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रांची का नन्हा मूर्तिकार और माता का भक्त

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

रांची से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहां नवरात्रि की आस्था ने एक किशोर को मूर्तिकार बना दिया है। यह कहानी राजधानी के हातमा इलाके की है, जहां स्लम बस्ती में रहने वाला 17 वर्षीय अविनाश मुंडा बीते सात सालों से अपने हाथों से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाता है और खुद नवरात्र की पूजा का संचालन भी करता है।  

आस्था ने दिया अलग मुकाम  

कोलकाता की भव्य परंपरा के बाद रांची में दुर्गा पूजा भी दिन पर दिन भव्य होती जा रही है। करोड़ों रुपए खर्च कर पंडाल और मूर्तियों की सजावट की जाती है, लेकिन हातमा बस्ती में रहने वाले अविनाश मुंडा की मां के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति ने उसे ऐसा जुनून दिया कि उसने सात साल की उम्र से ही खुद प्रतिमा गढ़ना शुरू कर दिया। अब 17 साल की उम्र में वह अपनी बस्ती का जाना-माना “नन्हा मूर्तिकार” बन चुका है।  

घर पर ही बनती है प्रतिमा 

अविनाश अपने घर के आंगन में मिट्टी, घास और बांस का प्रयोग कर दुर्गा प्रतिमा गढ़ते हैं। उनकी मां और आसपास के छोटे बच्चे इस काम में सहयोग करते हैं। प्रतिमा बनने के बाद वे उसे पूजा स्थल में स्थापित कर नवरात्रि के पूरे नौ दिन माता रानी की उपासना करते हैं। अपनी भक्ति को और सच्चा बनाने के लिए अविनाश पूरे नौ दिनों का उपवास भी रखते हैं।  यह 2019 से करता आ रहा है पूजा

बच्चों का “नन्हे ग्रुप”  

अविनाश ने इस भक्ति यात्रा में अकेले सफर तय नहीं किया। उसने बच्चों का एक समूह बनाया, जिसे प्यार से “नन्हे ग्रुप” नाम दिया गया है। पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और प्रतिमा की देखरेख का जिम्मा यही बच्चे संभालते हैं। इस ग्रुप ने धीरे-धीरे इलाके की पहचान बना ली है और अब हर साल लोग उनके पूजा स्थल पर दर्शन के लिए आने लगे हैं।  

आस्था ही सबसे बड़ी शक्ति 

अविनाश मुंडा का कहना है कि उनके लिए मां दुर्गा केवल प्रतिमा नहीं बल्कि शक्ति और प्रेरणा का स्रोत हैं। उत्साह के साथ वे कहते हैं जब तक हाथों में जान है, मां की प्रतिमा बनाता रहूंगा। मां ही मुझे कौशल और संकल्प देती हैं।

रांची के करोडों रुपए खर्च करने वाले बड़े पंडालों के बीच हातमा का यह नन्हा कलाकार यह संदेश देता है कि पूजा की असली शक्ति आस्था और भक्ति में है, भव्य सजावट में नहीं।

 

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