जामताड़ा में ग्रामीणों ने सामूहिक कार्य का मिसाल पेश किया 
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जामताड़ा में ग्रामीणों ने सामूहिक कार्य का मिसाल पेश किया 

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

जामताड़ा जिले के दक्षिण बहाल पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद सरकार और प्रशासन की बेरुखी से निराश ग्रामीणों ने अपनी मेहनत और सामूहिक प्रयास से यातायात के लिए डायवर्सन सड़क तैयार कर मिसाल पेश की है।

इन सभी जगहों का लाईफ लाईन था यह पूल 

दक्षिण बहाल पुल क्षतिग्रस्त, ग्रामीणों ने बनाया विकल्प जामताड़ा जिले की लाइफ लाइन कहे जाने वाले दक्षिण बहाल पुल को हाल ही में हुई तेज बारिश ने बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। यह पुल जामताड़ा को करमाटांड़, सारठ, मधुपुर, देवघर सहित बिहार से जोड़ने वाला अहम मार्ग था। पुल के क्षतिग्रस्त होने से हजारों वाहनों का परिचालन ठप पड़ गया।

पुल के बंद होने से शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर बुरा असर पड़ा।

केंद्रीय विद्यालय, आईटीआई और सेंट एंथोनी स्कूल जैसे शिक्षण संस्थानों तक छात्र-छात्राओं का पहुंचना मुश्किल हो गया।सदर अस्पताल, समाहरणालय और परिसदन जाने वाले लोगों को अब 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही थी।

प्रशासन पर नाराजगी, ग्रामीणों का हौसला

ग्रामीण लगातार प्रशासन से वैकल्पिक व्यवस्था की मांग उठाते रहे, लेकिन केवल आश्वासन मिलता रहा। महीनों इंतजार के बाद जब कोई ठोस पहल नहीं हुई, तब ग्रामीणों ने खुद ही नदी पर डायवर्सन बनाना शुरू किया और कड़ी मेहनत के बाद उसे तैयार कर यातायात शुरू कर दिया।

मंत्री इरफान अंसारी पहुंचे स्थल पर

ग्रामीणों की इस पहल की जानकारी जैसे ही मंत्री डॉ. इरफान अंसारी तक पहुँची, वे अपने काफिले के साथ डायवर्सन से होकर गुजरे और ग्रामीणों को बधाई दी। उन्होंने कहा, “झारखंड के इतिहास में इस बार सबसे अधिक बारिश हुई है। बारिश के कारण कई पुल-पुलिया क्षतिग्रस्त हो गए। दक्षिण बहाल का पुल महत्वपूर्ण है, इसके लिए विभाग को निर्देश दे दिया गया है और डीपीआर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बहुत जल्द नया मजबूत मोटवॉल पुल बनाया जाएगा मंत्री ने ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास को सराहते हुए कहा कि जनता यदि चाह ले तो असंभव भी संभव कर सकती है।

मौके पर अन्य नेता और अधिकारी

मौके पर आईसीसी के आब्जर्वर अरुण यादव, पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख और आब्जर्वर अरुण साहू भी मौजूद रहे और ग्रामीणों के प्रयासों की सराहना की।

इस घटना ने जहां प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, वहीं ग्रामीणों की एकजुटता और संघर्ष ने साबित कर दिया कि सामूहिक इच्छाशक्ति से बड़ी से बड़ी मुश्किल का हल निकाला जा सकता है।

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