देवघर में अनन्त चतुर्दशी कि भारी भिड़ 
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देवघर में अनन्त चतुर्दशी कि भारी भिड़ 

 

रिपोर्ट:- रांची डेस्क ••••••

देवघर में आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़ी ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है और खासकर देवघर में इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद गहरा है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व

अनंत चतुर्दशी को भगवान विष्णु की अराधना का दिन माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, देवघर में सावन मेला शुरू होने से पहले परंपरागत रूप से अनंत चतुर्दशी मेला आयोजित होता रहा है। यह मेला काफी पुराना है और यहां की धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।

श्रद्धालुओं का कामना 

आज सुबह से ही बाबा बैद्यनाथ धाम परिसर में विशाल संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। भक्तों ने अनंत भगवान की कथा श्रवण की और अनुष्ठान के रूप में अनंत डोरा बांधा। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना कर अपने परिवार और समाज की खुशहाली की कामना की।

देवघर में कथा का श्रवण करने से फल दूगना 

मंदिर के राज्य पुरोहित श्रीनाथ महाराज ने बताया कि देवघर का अनंत चतुर्दशी मेला सदियों पुरानी परंपरा है। यहां अनंत भगवान की कथा सुनने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि देवघर मंदिर में कथा श्रवण करने से फल सौ गुना अधिक प्राप्त होता है।

हरिहर मिलन पर्व भी मनाया गया

हरिहर मिलन की विशेषता धार्मिक आस्थाओं के अनुसार, देवघर वह स्थल है जहां भगवान विष्णु (हरि) और भगवान भोलेनाथ (हर) का मिलन होता है। इसीलिए यहां आज के दिन हरिहर मिलन का पर्व भी खास रूप से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने बाबा बैद्यनाथ के दर्शन कर विशेष पूजा-अर्चना की।

गहरी आस्था है अनन्त चतुर्दशी का

स्थानीय लोगों में इस दिन को लेकर गहरी आस्था देखी गई। परिवार के लोग अनंत डोरा बांधकर शुभ फल की कामना करते नजर आए। महिलाओं और पुरुषों दोनों ने बड़ी आस्था के साथ कथा श्रवण किया और मंदिर परिसर पूरे दिन “अनंत नारायण भगवान की जय” के उद्घोष से गुंजायमान रहा।

देवघर में आज का दिन धार्मिक आस्था और परंपराओं के संगम का अनूठा चित्र प्रस्तुत करता दिखा। यह पर्व स्थानीय ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से आए श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का बड़ा केंद्र बना रहा।

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