पटना : ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में हेमंत सोरेन का भाजपा पर सीधा हमला
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पटना : ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में हेमंत सोरेन का भाजपा पर सीधा हमला

 

रिपोर्ट:- रांची डेस्क••••••

पटना, में आयोजित ‘वोटर अधिकार यात्रा’ कार्यक्रम के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एनडीए सरकार पर तीखे तेवर दिखाए। मंच से बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा शासन व्यवस्था लोकतंत्र के मूल्यों को कमजोर कर रही है। “आज हाल यह है कि ED, CBI और IT जैसी संस्थाओं को हथियार बना दिया गया है। विपक्षी नेताओं पर झूठे मामले थोपकर उन्हें डराया-धमकाया जा रहा है। जनता के वोट पर डाका डाला जा रहा है,” सोरेन ने आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि वोट चोरी कोई नई बात नहीं है, यह सिलसिला वर्षों से चलता आया है, लेकिन अब देश की जनता इस सच को जान चुकी है। “जनता जाग चुकी है और अब किसी भी कीमत पर अपने अधिकार को छिनने नहीं देगी। हर वर्ग को एकजुट होकर ‘वोट चोरों’ का मुकाबला करना होगा,” झारखंड सीएम ने कहा।

* कितना सही और कितना गलत? 

एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप – विपक्षी नेता लंबे समय से यह बात उठाते आए हैं कि केंद्र सरकार इन एजेंसियों का राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करती है। गणनांकीय रूप से देखा जाए तो हाल के वर्षों में जिन नेताओं पर जांच हुई है, उनमें बड़ी संख्या विपक्ष से जुड़ी है। इससे संदेह और विवाद की स्थिति बनी रहती है।

वोट चोरी का दावा – भारत में चुनाव आयोग स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा दुनिया भर में है, लेकिन ईवीएम, मतदाता सूची और निर्वाचन प्रक्रिया पर विपक्ष समय-समय पर सवाल उठाता रहा है। हालांकि अब तक सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने बार-बार यह कहा है कि चुनाव पारदर्शी हैं।

* सच्चाई और विवादास्पद

एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर सच्चाई यह है कि कई मामलों में कोर्ट ने एजेंसियों को वैध माना है, वहीं कई जगहों पर राजनीतिक दबाव की आशंका भी जताई गई है।

वोट चोरी का मसला अधिकतर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की श्रेणी में आता है, लेकिन पुख्ता सबूत हमेशा विवादास्पद रहते हैं।

जनता के बीच यह बहस लगातार चल रही है कि क्या वास्तव में विपक्षी नेताओं को राजनीतिक कारणों से टारगेट किया जा रहा है या वे गंभीर घोटालों में शामिल हैं।

कुल मिलाकर, हेमंत सोरेन का बयान राजनीतिक संदर्भ में आक्रामक है। यह विपक्षी गठबंधन की ओर से केंद्र सरकार पर हमला है। “कितना सही और गलत” यह इस पर निर्भर करता है कि जनमानस और न्यायिक संस्थाएं किन तथ्यों को ज्यादा विश्वसनीय मानती हैं।

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