रांची में जोरो से है तैयारी करमा पर्व की 
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रांची में जोरो से है तैयारी करमा पर्व की 

 

रिपोर्ट:- रांची डेस्क••••••

करमा पर्व प्रकृति और कर्म के महत्व को समझाने वाला आदिवासी समाज का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे झारखंड में बड़े उत्साह और धूम-धाम से मनाया जाता है।

* रांची में धूम-धाम और तैयारियाँ

इस वर्ष भी रांची सहित पूरे झारखंड में करमा पर्व की तैयारियाँ कई दिन पहले से शुरू हो चुकी हैं। जगह-जगह मोहल्लों, गांवों और संस्थानों में आकर्षक तरीके से आयोजन किया जा रहा है। करमा पूजा की शुरुआत इस बार 3 सितंबर 2025 से होगी, जबकि विसर्जन का मुख्य कार्यक्रम 5 सितंबर को तय है। कई जगहों पर तो चार दिन या उससे भी अधिक पहले से ही महोत्सव का माहौल बनने लगा है — कहीं जावा बोया जा रहा है, तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम की तैयारी हो रही है।

* पूजा की पारंपरिक विधि 

करमा पर्व से सात दिन पहले युवतियाँ “जावा” (टोकरी में बालू और मल्टीग्रेन अनाज बोना) उठाने की परंपरा निभाती हैं। ये जावा हर दिन घर के साफ-सुथरे स्थान पर रखा जाता है और उसकी देखभाल के साथ पूजा की जाती है। पर्व वाले दिन नदी या जंगल से लाए गये करम वृक्ष की टहनी को गांव के अखाड़ा या आंगन में गाड़कर, उसके चारों ओर युवतियाँ और युवक पारंपरिक गीत-नृत्य करते हैं।

* सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

करमा पर्व भाई-बहन के प्रेम, प्रकृति की पूजा, भाई की दीर्घायु और समुदाय में सौहार्द का संदेश देता है। भाई-बहन की जोड़ी इस पर्व की विशेषता है; बहनें व्रत रखकर अपने भाइयों के लिए सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई अपने परिवार व भूमि के कल्याण की दुआ माँगते हैं। यह पर्व खेती-किसानी और प्रकृति की कृपा से जुड़ा है, इसलिए जश्न में पारंपरिक व्यंजन, लोकगीत, नृत्य और संस्कृति की झलक दिखती है।

* इस बार की खासियत

रांची समेत पूरे झारखंड में करमा के स्वागत के लिए सांस्कृतिक संध्या, मिलन-समारोह और सम्मान समारोह आदि भी आयोजित हो रहे हैं। युवाओं में खासा उत्साह है और वे परंपरागत गीत-संगीत के साथ आधुनिक कार्यक्रमों का भी संयोजन कर रहे हैं। जगह-जगह करमा गीत और नृत्य का अभ्यास चल रहा है, और रांची की सड़कों-गांवों में पर्व का उल्लास स्पष्ट दिख रहा है।

* सभी का है करमा पर्व 

करमा पर्व न केवल आदिवासी संस्कृति की पहचान है, बल्कि प्रकृति-संरक्षण, भाईचारा, और श्रम का उत्सव भी है। झारखंड की राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में इस पर्व की रौनक और संस्कृति की ऊर्जा देखते ही बनती है।

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