सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने के खिलाफ जनआक्रोश चाईबासा में हजारों ग्रामीणों की प्रदर्शन रैली
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सारंडा को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने के खिलाफ जनआक्रोश चाईबासा में हजारों ग्रामीणों की प्रदर्शन रैली

 

रिपोर्ट:रची डेस्क

चाइबासा झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा में मंगलवार को सारंडा वन क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किए जाने के खिलाफ आदिवासी-मूलवासी समुदाय का आक्रोश उफान पर दिखाई दिया। हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने पारंपरिक वेशभूषा, नगाड़ों की थाप और तीर-धनुष के साथ गांधी मैदान से एक विशाल जन आक्रोश रैली निकाली, जिसमें महिलाएं और पुरुष दोनों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।  

रैली में प्रदर्शनकारियों ने जोरदार नारे लगाए जय झारखंड केंद्र सरकार होश में आओ और सारंडा को सेंचुरी घोषित करना बंद करो ये नारे पूरे शहर में गूंजते रहे। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार का यह निर्णय उनकी आजीविका, परंपरागत वनाधिकार और सांस्कृतिक अस्तित्व पर सीधा हमला है।  

बुधराम लागुरी ने दी चेतावनी

रैली की अगुवाई कर रहे आदिवासी मुंडा समाज विकास समिति के केंद्रीय अध्यक्ष बुधराम लागुरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सारंडा केवल एक जंगल नहीं, बल्कि सदियों से आदिवासी समाज की जीवनरेखा है। उन्होंने सरकार और सुप्रीम कोर्ट दोनों से अपील करते हुए कहा, अगर इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

लागुरी ने साफ चेतावनी दी कि 25 अक्टूबर 2025 से पूरे कोल्हान सारंडा क्षेत्र में पूर्ण आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय जनता अपने वन-अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।  

ज्ञापन सौंपकर जताई नाराजगी

रैली गांधी मैदान से निकलकर प्रमुख मार्गों से होती हुई उपायुक्त कार्यालय पहुंची। वहां संगठन के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में मांग की गई है कि केंद्र सरकार सारंडा वन क्षेत्र को सेंचुरी घोषित करने का फैसला तत्काल वापस ले और आदिवासी ग्रामसभाओं की राय लेकर नया मसौदा तैयार करे।  

प्रदर्शन के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने रैली को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए पूरे मार्ग में निगरानी की।  

ग्रामीणों की चिंता  आजीविका पर खतरा

सारंडा वन क्षेत्र पश्चिमी सिंहभूम जिले का सबसे घना साल जंगल माना जाता है, जो न केवल जैव विविधता बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदाय की आजीविका का भी केंद्र है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित कर दिया गया, तो वे जंगल से मिलने वाले लकड़ी, महुआ, चिरौंजी जैसे वन उत्पादों पर अपने पारंपरिक अधिकार खो देंगे।  

एक महिला प्रदर्शनकारी सुकमनी मुंडा ने कहा,“हमारे पुरखे यहीं जन्मे और पले-बढ़े हैं। जंगल हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इसे छीनने नहीं देंगे।

प्रशासनिक प्रतिक्रिया 

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, ज्ञापन राज्य सरकार को भेजा जाएगा और संबंधित विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। जिला प्रशासन ने कहा है कि रैली शांतिपूर्ण रही और किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।  

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