रांची में आरएसएस का शताब्दी वर्ष, विजयादशमी उत्सव सादगी और उत्साह के साथ सम्पन्न  
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रांची में आरएसएस का शताब्दी वर्ष, विजयादशमी उत्सव सादगी और उत्साह के साथ सम्पन्न  

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

रांची, 2 अक्टूबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शताब्दी वर्षगांठ के अवसर पर गुरुवार को राजधानी रांची के विवेकानंद महानगर स्थित न्यू एजी बस्ती में विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और सादगीपूर्ण वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर प्रान्त प्रचारक ने संगठन की सौ साल की गौरवपूर्ण यात्रा को स्मरण करते हुए कहा कि संघ ने अपने स्थापना काल से ही समाज में समरसता, सामूहिक विकास और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा है।  

शताब्दी पर समरसता का संकल्प

कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवकों और गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए प्रान्त प्रचारक ने कहा कि सौ वर्षों की इस यात्रा में संघ सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन का प्रणेता रहा है। उन्होंने कहा आज जब हम शताब्दी वर्ष मना रहे हैं, तब हमें संकल्प लेना होगा कि समरस और संगठित समाज का निर्माण करते हुए भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे।

संघ के सामने 5 बड़ी चुनौतियां  

भाषण में उन्होंने विशेष रूप से पांच प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख किया, जिनसे संगठन और समाज मिलकर संघर्ष कर रहा है सामाजिक विषमता और जातीय भेदभाव को पूर्णतः समाप्त करना राष्ट्र विरोधी ताकतों और वैचारिक आक्रमण का मजबूती से जवाब देना पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संकट से निपटना परिवार और समाज में संस्कार एवं मूल्यों का संरक्षण युवाओं को सकारात्मक राष्ट्रनिर्माण की मुख्यधारा से जोड़ना  

उत्सव में परंपरागत आयोजन  

विजयादशमी उत्सव की शुरुआत ध्वज वंदन और प्रार्थना के साथ हुई। इसके बाद संघगीत प्रस्तुत किया गया और शाखा कार्यक्रमों में बच्चों व युवाओं ने व्यायाम, दंडयुद्ध और योगाभ्यास का प्रदर्शन किया। स्थानीय महिलाओं और नागरिकों ने भी बड़े उत्साह से इसमें सहभागिता दर्ज कराई।  

100 वर्षों की कार्य

यात्रा पर दृष्टि  

प्रान्त प्रचारक ने कहा कि संघ ने आज़ादी के बाद से लेकर सामाजिक समरसता, शिक्षा, ग्राम विकास और स्वदेशी को आत्मसात करने जैसे अनेक अभियानों में काम किया है। उन्होंने युवाओं को यह भी प्रेरित किया कि वे तकनीक और आधुनिक साधनों का उपयोग राष्ट्रहित में करें तथा समाज में पारस्परिक सहयोग की भावना बढ़ाएं।  

समाज को जोड़ने का संदेश  

अंत में उन्होंने यह संदेश दिया कि विजयादशमी का पर्व केवल असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक नहीं बल्कि संगठन और समाज के सामूहिक उत्थान का अवसर भी है। उन्होंने सभी स्वयंसेवकों और उपस्थित नागरिकों से आह्वान किया कि वे शताब्दी वर्ष को समरसता और समाज सेतु अभियान के रूप में जोड़ें। 

 

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