रांची दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला और मां दुर्गा का विसर्जन  
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रांची दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला और मां दुर्गा का विसर्जन  

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

राजधानी रांची में विजयादशमी का पर्व हर्षोल्लास और आस्था के साथ मनाया गया। हर साल की तरह इस बार भी रांची के प्रसिद्ध दुर्गा बाड़ी परिसर में पारंपरिक सिंदूर खेला की रस्म पूरी हुई। इस मौके पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और मां भगवती को विदा करते हुए अखंड सौभाग्य तथा पति की लंबी आयु की कामना की।  

ढोल-नगाड़ों और जयकारों के बीच उमड़ी भीड़ 

दुर्गा बाड़ी परिसर दोपहर से ही श्रद्धालुओं के जयकारों और ढोल-नगाड़ों की गूंज से गूंजने लगा। महिलाओं ने परंपरा के अनुसार मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित किया और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर विजयादशमी की शुभकामनाएं दीं। लाल चुनरी और पारंपरिक साड़ियों में सजी महिलाओं ने इस रस्म को पूरे उत्साह के साथ निभाया।  

परंपरा और मान्यता  

प्रचलित मान्यता के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा अपने मायके, यानी इस धरती पर विराजमान रहती हैं और दशमी के दिन अपने लोक को लौट जाती हैं। इसी अवसर पर विवाहित महिलाएं मां दुर्गा को अखंड सौभाग्य का प्रतीक मानते हुए सिंदूर चढ़ाती हैं। यह रस्म स्त्रियों के लिए शुभता, समृद्धि और वैवाहिक सुख को समर्पित मानी जाती है।  

महिलाओं की भावनाएं 

इस अवसर पर मौजूद महिलाओं ने कहा कि विजयादशमी न केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, बल्कि यह नारी शक्ति, सौभाग्य और परिवार की खुशहाली का पर्व भी है। कई महिलाओं ने बताया कि वे वर्षों से इस आयोजन में शामिल हो रही हैं और इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा मानती हैं।  

प्रशासनिक व्यवस्था  

पर्व को देखते हुए प्रशासन की ओर से विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। दुर्गा बाड़ी और उसके आसपास साफ-सफाई तथा व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। पुलिस बल की तैनाती की गई ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।  

विजयादशमी का संदेश  

विजयादशमी का पर्व हर साल यह संदेश देता है कि असत्य, अन्याय और बुराई पर अंततः सत्य और धर्म की जीत होती है। राजधानी रांची में दुर्गा बाड़ी का यह आयोजन इस सांस्कृतिक और धार्मिक संदेश को एक बार फिर जीवंत कर गया। 

 

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