कर्मा पूजा पर मांदर ढोल नगाड़े से गूंज उठा अखड़ा
रिपोर्ट:- रांची डेस्क••••••
आज का करमा पूजा समारोह चारों तरफ मांदर की थाप और ढोल-नगाड़ों की गूँज के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। करमा पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मूलतः प्रकृति, कृषि, और भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
• क्यों मनाते हैं कर्म पूजा

करमा पूजा मुख्यतः करमा देवता की आराधना के लिए मनाई जाती है, जो भाग्य और जीवन के नियंत्रणकर्ता माने जाते हैं। यह पूजा प्रकृति, कृषि, और जीवन में समृद्धि के लिए की जाती है। इस दिन लोगों द्वारा करमा पेड़ की पूजा की जाती है, जिसे शक्ति, समृद्धि, और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम और पारिवारिक सौहार्द को भी बढ़ावा देता है। बहनें अपने भाइयों की लम्बी आयु, स्वास्थ्य, और खुशहाली के लिए व्रत रखती हैं और उनकी भलाई की कामना करती हैं।
• पूजा कब और कहाँ से शुरू हुई?
करमा पूजा का प्राचीन इतिहास है और यह मुख्यतः झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़, और ओडिशा ,एमपी के आदिवासी और कृषि समुदायों में मनाई जाती है। यह त्यौहार भादों मास की एकादशी (पौर्णिमा के 11वें दिन) को मनाया जाता है, जो सामान्यतः सितंबर-अक्टूबर के बीच आता है। इसकी शुरुआत कृषि समुदायों में प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए हुई थी। इतिहास में इसके कई लोककथात्मक उदाहरण भी मिलते हैं, जो इस पूजा की मान्यताओं और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं।
• पूजा की प्रक्रिया एवं बिधी

करमा पूजा की शुरुआत करमा पेड़ की शाखा को काटकर गाँव या समुदाय के बीच स्थापित किया जाता है
विभिन्न पारंपरिक गीत (करमा गीत) गाए जाते हैं और महिलाएं पारंपरिक नृत्य करती हैं।
व्रत रखने वाली बहनें उपवास करती हैं और पूजा समापन पर सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है, जो एकता और मेलजोल का प्रतीक है।
इस दिन मांदर, ढोल-नगाड़ों की थाप चारों ओर सुनाई देती है, जो त्योहार का खास आकर्षण होती है।
• करमा पूजा किस लिए होती है?

यह पूजा मुख्य रूप से करमा देवता के लिए की जाती है ताकि व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और स्वास्थ्य बनी रहे। साथ ही, यह भाइयों और बहनों के प्रेम और संबंध को मजबूत करने के लिए भी होती है। कृषक समुदाय इसे फसल की अच्छी पैदावार और प्रकृति के संरक्षण के लिए भी मनाते हैं
इस वर्ष करमा पूजा 3 सितंबर, 2025 को मनाई जा रही है, और पूरे क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण के बीच इसका आयोजन किया जा रहा है। यह पर्व न केवल धर्मिक है, बल्कि प्रकृति और सामाजिक बंधनों के प्रति सम्मान का समृद्ध संदेश भी देता है।
इस तरह, आज के दिन करमा पूजा का उत्सव चारों ओर मांदर की थाप और परंपरागत संगीत के बीच बड़े ही उल्लास से मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रकृति, भाईचारे, प्रेम, और समृद्धि का प्रतीक है।
