 
			विजयदशमी : बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व
रिपोर्ट रांची डेस्क••••••
रांची में विजयदशमी का पर्व हर साल अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध कर धर्म की जीत का प्रतीक है और रांची में इसकी भव्य परंपरा जुड़ी हुई है।
विजयदशमी क्यों मनाते हैं?
विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में एक है। यह पर्व असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था और माता सीता को मुक्त कराया था। इसलिए यह दिन धर्म, साहस, और सत्य की विजय के लिए स्मरणीय है। विजयदशमी हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाई जाती है।
रांची में विजयदशमी की परंपरा
रांची में विजयदशमी के मौके पर धूमधाम से रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। इस वर्ष (2025) कुल 8 प्रमुख स्थानों पर रावण दहन होगा, जिनमें मोरहाबादी मैदान, अरगोड़ा, एचईसी शालीमार मैदान, टाटीसिलवे आदि शामिल हैं। मोरहाबादी मैदान में चार बजे से राम-रावण युद्ध का मंचन किया जाता है और इसके बाद मुख्यमंत्री के हाथों रावण दहन होता है। रावण दहन के लिए रिमोट कंट्रोल, लेजर शो, और भव्य आतिशबाजी की व्यवस्था भी रहती है, जो दर्शकों के आकर्षण का केंद्र होती है
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
रांची समेत पूरे देश में विजयदशमी केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि यह लोगों को जीवन में नकारात्मकताओं को छोड़ सत्य और सदाचार के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ, कई स्थानों पर शमी वृक्ष पूजा, शस्त्र पूजा जैसे आध्यात्मिक अनुष्ठान भी संपन्न होते हैं। महिलाओं में सिंदूर खेला की परंपरा भी पश्चिम बंगाल व सीमावर्ती क्षेत्रों से यहां प्रचलित है।
सुरक्षा एवं प्रशासनिक तैयारी
रांची के सभी प्रमुख रावण दहन स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ती है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस और जिला प्रशासन सख्त इंतजाम रखते हैं। हर वर्ष विशेष टिकटिंग व्यवस्था, बचाव दल, एवं कंट्रोल रूम बनाए जाते हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके। कई जगहों पर ड्रोन कैमरों और सुरक्षा उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
विजयदशमी का सामाजिक संदेश
दशहरा के मौके पर ही रामलीला, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, और झांकियां आयोजन का अहम हिस्सा बनती हैं। यह त्योहार संदेश देता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंततः सत्य और अच्छाई की विजय निश्चित है। रांची की जनता हर साल इस परंपरा में शामिल होकर अपने भीतर की नकारात्मकताओं को समाप्त करने का संकल्प लेती है

 
			 
			