सुप्रीम कोर्ट का फैसला आधार मतदाता सूची के लिए वैद्य है पर नागरिकता के लिए वैध नहीं
रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए आधार मतदाता सूची के लिए वैध है पर नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। यह फैसला बिहार में चल रहे विशेष मतदाता पुनरीक्षण से जुड़ी सुनवाई के दौरान आया। अदालत ने साफ किया कि मतदाता पहचान के लिए आधार के अलावा नागरिकता साबित करने वाले कई अन्य दस्तावेज मान्य होंगे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मतदाता सूची में पंजीकरण की मूल शर्त भारतीय नागरिक होना है। केवल आधार कार्ड दिखाने से नागरिकता की पुष्टि नहीं होती, इसलिए इसे नागरिकता प्रमाणपत्र नहीं माना जा सकता। अदालत ने चुनाव आयोग और राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया कि पात्रता जांच के लिए अन्य स्वीकृत दस्तावेजों को शामिल किया जाए।
किन दस्तावेजों को माना जाएगा मान्य

अदालत ने स्पष्ट किया कि निम्नलिखित दस्तावेजों को वैध पहचान के रूप में स्वीकार किया जाएगा
केंद्र, राज्य सरकार एवं सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत कर्मचारियों के पहचान पत्र
पेंशन भुगतान आदेश
1 जुलाई 1987 के पूर्व सरकारी, स्थानीय प्राधिकरण, बैंक, पोस्ट ऑफिस, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों से जारी पहचान पत्र
सक्षम प्राधिकरण से जारी जन्म प्रमाण पत्र
अस्थायी आवासीय प्रमाण पत्र
वन अधिकार प्रमाण पत्र
पासपोर्ट
मान्यता प्राप्त बोर्ड/विश्वविद्यालय से जारी मैट्रिक या अन्य शैक्षणिक प्रमाण पत्र
सक्षम प्राधिकार द्वारा जारी ओबीसी, एससी, एसटी जाति का प्रमाण पत्र
जहां उपलब्ध हो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का विवरण
स्थानीय प्राधिकरण द्वारा तैयार पारिवारिक रजिस्टर
सरकार का कोई भी भूमि अथवा मकान आवंटन प्रमाण पत्र
बिहार में विशेष मतदाता पुनरीक्षण पर असर

यह फैसला विशेष रूप से बिहार के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां इस समय मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कार्य चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से मतदाताओं को आधार के अलावा कई विकल्प उपलब्ध होंगे, जिससे वास्तविक पात्र नागरिक आसानी से मतदाता सूची में नाम दर्ज करा सकेंगे।
