राँची के कांके रोड पर शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसा
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राँची के कांके रोड पर शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसा

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

स्कूटी में स्कूल जा रही मां-बेटी की तेज रफ्तार ट्रक से कुचलकर मौके पर ही मौत हो गई, घटना के बाद आक्रोशित स्थानीय लोगों ने कांके रोड को पूरी तरह जाम कर दिया और ट्रक चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की

* हादसे की पूरी घटना

कांके थाना क्षेत्र के जोड़ा पुल के पास रिनपास की नर्स रश्मि कश्यप अपनी बेटी को स्कूटी से स्कूल छोड़ने जा रही थीं, तभी एक तेज रफ्तार सीमेंट लदे 407 ट्रक ने उनकी स्कूटी को टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि मां-बेटी की मौके पर ही मौत हो गई और एक अन्य शख्स भी घायल हो गया. ट्रक चालक दुर्घटना के बाद फरार हो गया, पुलिस ने ट्रक को जब्त कर लिया है और चालक की तलाश जारी है.

* घटना के बाद लोगों में आक्रोश 

मां-बेटी की दर्दनाक मौत के बाद स्थानीय लोग भारी संख्या में इकट्ठा हो गए और सड़कों पर उतरकर वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप कर दिया. लोगों का कहना है कि कांके रोड पर भारी वाहनों की तेज रफ्तार अक्सर हादसों का कारण बनती है, खासकर स्कूल के समय पर प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि स्कूल समय में भारी वाहनों की आवाजाही रोकी जाए और ट्रैफिक कंट्रोल के उपाय किए जाएं.

* जिम्मेदार कौन और कब थमेगा ये सिलसिला?

कौन जिम्मेदार होगा उस मासूम सी जान की जिसने अभी पूरी दुनिया नहीं देखी थी

राँची में सिर्फ अगस्त महीने में यह दूसरा बड़ा एक्सीडेंट है—पहले हरमू रोड पर फॉर्च्यूनर कार से भी तीन मौतें हुई थीं. लगातार दुर्घटनाओं की वजह लापरवाह ड्राइविंग, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी और सड़क सुरक्षा उपायों की कमी बताई जा रही है. स्थानीय लोगों की नाराजगी अब प्रशासनिक लापरवाही और पुलिस की सुस्ती को लेकर भी है, क्योंकि मांगों के बावजूद सख्त कदम नहीं उठाए जा रहे

* प्रशासन की प्रतिक्रिया

पुलिस एवं प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर स्थिति नियंत्रित करने की कोशिश की. डीएसपी अमर कुमार पांडेय ने कहा कि पीड़ित परिवार को सरकारी सहायता दी जाएगी और आक्रोशित लोगों से बातचीत की जा रही है

* आखिर कब और कैसे रुकेगा सड़क हादसा

सड़क पर भारी वाहनों पर नियंत्रण जरूरी है, खासकर स्कूल के समय पर

ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराना होगा, और तेज रफ्तार, बेपरवाह वाहन चालकों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई जरूरी है.

बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं से सवाल उठता है कि,कितने लोगे बलिदान, कितनेे परिवारों को उजाड़ो डे कितनी मांओ की सुनी करोगे गोद, यह तो नन्हे परिंदे है इनकी क्या है कसूर प्रशासन कब तक महज आश्वासन देगा और कब सड़क सुरक्षा पर ठोस, जमीनी उपाय करेगा.

यह हादसा सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल छोड़ गया है, और अब वक्त है कि केवल आश्वासन नहीं, व्यवस्थित एक्शन दिखे ताकि मासूम जानें यूं ही न जाएं.

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