झारखंड में चेक क्लियरेंस सिस्टम फेल: 1300 करोड़ से अधिक की राशि अटकी, ग्राहकों में नाराजगी
रिपोर्ट:रांची डेस्क
रांची, 3 नवंबर: झारखंड के बैंकिंग क्षेत्र में नया “रियल-टाइम चेक क्लीयरेंस सिस्टम” फिलहाल ग्राहकों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। जो सिस्टम चेक के भुगतान को तेज करने के उद्देश्य से लागू किया गया था, वही अब देरी का कारण बन गया है।
नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा 4 अक्टूबर से शुरू किए गए इस केंद्रीकृत रियल-टाइम सिस्टम के चलते राज्यभर में करीब 1300 करोड़ रुपये की राशि फंसी हुई है। सरकारी, प्राइवेट, एनबीएफसी और स्मॉल पेमेंट बैंकों की कुल 3,414 शाखाओं में चेक और डिमांड ड्राफ्ट के निपटान में लगातार विलंब दर्ज किया जा रहा है।
खातों में क्रेडिट आने में घंटों से लेकर दिनों तक देरी
राज्य के विभिन्न जिलों में ग्राहकों ने बताया कि जिन चेकों का भुगतान पहले 24 घंटों में हो जाता था, अब वे 3 से 5 दिन तक लटक रहे हैं। बैंक अधिकारियों के मुताबिक, नई प्रणाली के तहत सभी चेक एनपीसीआई के केंद्रीय सिस्टम से गुजरते हैं, जिससे तकनीकी गड़बड़ियों या डेटा ओवरलोड की स्थिति में क्लियरेंस अटक जाता है।
बैंकों को प्रतिदिन बड़े पैमाने पर ग्राहकों की शिकायतों का सामना करना पड़ रहा है। कई ग्राहकों के चेक रिटर्न हो रहे हैं, जिससे उनके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है।
व्यापारी वर्ग पर भी पड़ा असर
रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो जैसे औद्योगिक शहरों में कारोबारी वर्ग ने इस देरी को लेकर चिंता जताई है। कई व्यापारियों ने बताया कि आपूर्ति भुगतान में देरी से दैनिक कारोबार और सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है। माइनिंग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े कारोबारियों के अनुसार, बड़े अनुबंधों के भुगतान में अड़चन आने से नगद प्रवाह चुनौतीपूर्ण हो गया है।
बैंक अधिकारियों ने मांगा तात्कालिक समाधान
रांची स्थित बैंक प्रबंधक संघ ने एनपीसीआई और भारतीय रिजर्व बैंक से तत्काल तकनीकी समीक्षा की मांग की है। संघ के अध्यक्ष ने बताया कि सिस्टम की कार्यप्रणाली का लोकल लेवल पर परीक्षण किए बिना इसे लागू करना जल्दबाजी साबित हुआ है।
एनपीसीआई सूत्रों ने बताया कि क्लियरेंस में देरी सर्वर सिंक्रोनाइजेशन और डेटा रूटिंग की समस्या के कारण हो रही है, जिसे स्थिर करने के लिए तकनीकी टीम कार्यरत है।
ग्राहकों को सलाह
बैंक ग्राहकों से अपील की गई है कि वे फिलहाल बड़े चेक ट्रांजेक्शन के लिए वैकल्पिक डिजिटल माध्यमों जैसे कि आरटीजीएस, एनईएफटी, या यूपीआई का प्रयोग करें ताकि भुगतान में बाधा न हो।
