 
			पोटका पुलिस ने दिखाई मानवता: भटके दो मासूमों को नानी के घर पहुँचाया
रिपोर्ट:रांची डेस्क
जमशेदपुर पोटका थाना क्षेत्र की संवेदनशील पुलिस व्यवस्था ने फिर यह साबित किया कि मानवता आज भी जिंदा है। शुक्रवार को पोटका थाना प्रभारी मनोज मुर्मू ने सड़क पर भटके दो छोटे बच्चों को सुरक्षित उनके घर उड़ीसा के मोरडा गाँव तक पहुँचाकर एक मिसाल कायम की।
पुलिस ने दिखाई मानवता
यह मामला उस समय सामने आया जब गीतिलता मुख्य सड़क पर राहगीरों ने दो मासूम बच्चों को अकेले भटकते देखा। स्थानीय ग्रामीणों ने तत्काल इसकी सूचना पत्रकार बिनोद केसरी को दी। पत्रकार केसरी ने बिना देर किए पोटका थाना प्रभारी मनोज मुर्मू को फोन पर जानकारी दी। सूचना मिलते ही थाना प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुँचे और बच्चों को सुरक्षित थाने लाया।
नानी के घर आये थे बच्चे
थाने में पहुँचे बच्चों से मनोज मुर्मू ने संथाली भाषा में बातचीत की। संवाद की यह कोशिश रंग लाई, बच्चे पुलिसकर्मी से आत्मीयता से बोलने लगे। पूछताछ में बच्चों ने अपने नाम कौशल हेमरम और रवि हेमरम बताया। साथ ही उन्होंने बताया कि वे उड़ीसा राज्य के बहलदा थाना क्षेत्र अंतर्गत मोरडा गाँव के निवासी हैं और अपनी नानी के घर आए थे।
नानी को सौंपा गया बच्चे को 
थाना प्रभारी ने तत्परता दिखाते हुए उड़ीसा के स्थानीय लोगों से संपर्क साधा और पते की पुष्टि की। सही जानकारी मिलने पर उन्होंने स्वयं पुलिस गाड़ी से दोनों बच्चों को मोरडा गाँव जाकर उनकी नानी के हवाले कर दिया। मौके पर परिजनों ने बच्चों को सकुशल देखकर राहत की सांस ली और पोटका पुलिस का आभार जताया।
रास्ता भटककर पोटका पहुचा
जानकारी के अनुसार, दोनों बच्चों की माँ रोज़ी-रोटी की तलाश में काम के सिलसिले में बाहर गई हुई थीं जबकि पिता का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो चुका था। ऐसे में बच्चे गलती से रास्ता भटककर पोटका तक पहुँच गए थे।
पोटका थाना प्रभारी का कहना
पोटका थाना प्रभारी मनोज मुर्मू ने बताया कि मानव सेवा और बच्चों की सुरक्षा पुलिस का पहला दायित्व है। उन्होंने कहा कि बच्चों की मुस्कुराहट देखकर ही उनकी मेहनत सफल हुई। इस दौरान ग्रामीणों ने भी पुलिस के इस कार्य की जमकर सराहना की।
इस घटना ने न केवल पुलिस की संवेदनशीलता को उजागर किया बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि मानवीयता ही सबसे बड़ा धर्म है।

 
			 
			