सिंदूर खेल कर माँ दुर्गा को दी गई विदाई
रिपोर्ट रांची डेस्क••••••
जमशेदपुर। विजयादशमी के अवसर पर जमशेदपुर के विभिन्न पूजा पंडालों में श्रद्धा और उत्साह का अनोखा संगम देखने को मिला। नवरात्र के समापन पर आज महिलाओं ने परंपरा के अनुसार माँ दुर्गा को सिंदूर खेला (सिंदूर खेल) के जरिये विदाई दी।
सुबह से ही पूजा पंडालों में भक्तों की भीड़
विवाहित महिलाएं पारंपरिक परिधानों लाल साड़ी और शंख-पोला के साथ पंडालों में पहुँचीं। उन्होंने पहले मां दुर्गा की प्रतिमाओं के चरणों में प्रणाम कर आशीर्वाद लिया और फिर मां को सिंदूर अर्पित किया। इसके बाद एक-दूसरे के माथे और गाल पर सिंदूर लगाकर पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की मंगलकामना की।
नवरात्र के पांच दिन और विजयादशमी का महत्व
नवरात्र के पांच प्रमुख दिन षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और विजयादशमी विशेष रूप से पवित्र और श्रद्धापूर्ण माने जाते हैं। इन दिनों पूजा पंडालों में लगातार धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। विजयादशमी को *असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है, वहीं इस दिन माँ दुर्गा की विदाई भी होती है।
बंगाली समुदाय की रस्में बनीं आकर्षण का केंद्र 
पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा, त्रिपुरा और झारखंड में इस पर्व की खास धूम रहती है। बंगाली समुदाय द्वारा निभाई जाने वाली परंपराएं लोगों को विशेष रूप से आकर्षित करती हैं। सिंदूर खेला भी इन्हीं में से एक रस्म है। इस दौरान विवाहित महिलाओं के चेहरों पर सिंदूर की लाली और भक्ति की आभा देखते ही बनती है।
शहर भर में उमड़ा उत्साह और भक्ति का सागर
जमशेदपुर के कदमा, साकची, सोनारी और बारीडीह समेत कई इलाकों के प्रमुख पूजा समितियों में सुबह से ही देवी प्रतिमा के दर्शन और सिंदूर खेला में शामिल होने के लिए भीड़ रही। जगह-जगह बजते ढोल, धाक और शंखनाद ने पूरे वातावरण को पवित्र और उत्सवमय बना दिया। महिलाएं मंत्रोच्चार के बीच देवी मां को विदा कर आंसुओं से आंखें नम करती रहीं।
