आज नवरात्रि के अंतिम दिन की जाती है सिद्धिदात्री की पूजा
रिपोर्ट रांची डेस्क••••••
नवरात्रि के नवें दिन की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की विशेष रूप से आराधना होती है। देवी सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों की दात्री यानी सफलता और साधना देने वाली माता माना जाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन यह पूजा बहुत ही मनोयोग एवं श्रद्धा के साथ की जाती है, क्योंकि यही दिन साधकों के लिए साधना की पूर्णता और सुख-समृद्धि का दिन है।
नवरात्रि विशेष
अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की उपासना, जानिए पूजा विधि और महत्व
नवरात्रि की नवमी तिथि को माँ दुर्गा के अंतिम स्वरूप, माँ सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना की जाती है। यह दिन साधकों के लिए विशेष फलों की प्राप्ति का दिन है, माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री की कृपा से साधक को अपने जीवन के समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है और उसके सभी दुख, संकट और विघ्न दूर हो जाते हैं।
कौन हैं माँ सिद्धिदात्री?
माँ दुर्गा का नौवां स्वरूप ‘सिद्धिदात्री’ है। इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य एवं सौम्य है। माँ की चार भुजाएँ हैं, जिनमें शंख, चक्र, गदा और कमल है। वे कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। शिवजी ने अपनी सिद्धियाँ माँ सिद्धिदात्री की कृपा से ही प्राप्त की थीं। इनकी पूजा से साधक को ज्ञान, बल, ऐश्वर्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
पूजन विधि
प्रातः काल स्नान-ध्यान कर माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाकर, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें माँ को सफेद पुष्प, नारियल, मेवे, काजू और मिठाई अर्पित की जाती है। खास कर हलवे, पूड़ी और चने का भोग लगाया जाता है।माँ की मंत्रों और स्तुति से आराधना करें
‘‘ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः’’
नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। छोटी कन्याओं को भोजन कराकर, दक्षिणा, बर्तन, वस्त्र आदि दान किये जाते हैं। इसके बाद हवन भी किया जाता है, जिससे वातावरण भी शुद्ध होता है और साधक को दिव्य फल मिलता है।
कन्या पूजन का महत्व
नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि माता स्वयं कन्याओं में विद्यमान होती हैं, इसलिए उनका पूजन और सम्मान करना सर्वोत्तम होता है।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक संदेश
नवरात्रि का नवां दिन शक्ति, सिद्धि और कृपा का प्रतीक है। पूरे देश में इस दिन के अवसर पर देवी मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन, हवन और कन्या भोज का आयोजन होता है। शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रहती है तथा चहुँओर माँ के जयकारे गूंजते हैं।
मंगलकारी होती है सिद्धिदात्री की पजा
नवरात्रि की नवमी सभी श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत मंगलकारी होती है। सिद्धिदात्री माँ की उपासना से जीवन में आ रही तमाम बाधाएँ दूर होती हैं और साधक को सुख, समृद्धि तथा आनंद की प्राप्ति होती है
