जमशेदपुर की साध्वी अमरजीत सखी: बचपन से करती आ रही हैं मां दुर्गा की भक्ति  
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जमशेदपुर की साध्वी अमरजीत सखी: बचपन से करती आ रही हैं मां दुर्गा की भक्ति  

 

रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••

वैष्णव किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर, खुद बनाती हैं मिट्टी की प्रतिमा और करती हैं पूजा अर्चना

जमशेदपुर:-आश्विन नवरात्र नवरात्र का पावन पर्व देवियों की शक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस मौके पर जहां पूरे देश में भक्त अपने-अपने तरीकों से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में लीन हैं, वहीं जमशेदपुर की साध्वी अमरजीत सखी की भक्ति और समर्पण समाज को एक अलग ही प्रेरणा दे रही है। 

वैष्णव किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर साध्वी अमरजीत सखी आठ वर्ष की आयु से ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्वयं अपने हाथों से तैयार करती आ रही हैं। मिट्टी से सजीव जैसी आकृति गढ़ने के बाद वह प्रतिदिन उसी प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा करती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में वे मां को अलग-अलग भोग अर्पित करती हैं और मां के चरणों में समाज के कल्याण, शांति और उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करती हैं।  

किन्नर समाज की आस्था का प्रतीक  

साध्वी अमरजीत सखी बताती हैं कि मां दुर्गा केवल शक्ति की देवी नहीं बल्कि सबको समान दृष्टि से अपनाने वाली मातृ शक्ति हैं। किन्नर समाज लंबे समय से देवी भक्ति को अपनी परंपरा का हिस्सा मानता आया है। साध्वी कहती हैं कि मां की आराधना में उन्हें वही सुकून मिलता है जो जीवन को दिशा देने का काम करता है।  

समाज के लिए संदेश  

उनकी यह साधना केवल व्यक्तिगत भक्ति का प्रतीक नहीं बल्कि समूचे समाज के लिए संदेश है कि आस्था और श्रद्धा की कोई सीमा या अलगाव नहीं होता। चाहे स्त्री हो, पुरुष या किन्नर मां दुर्गा की कृपा सब पर समान रूप से बरसती है।  

श्रद्धालुओं का जुट रहा है सैलाब  

नवरात्र में साध्वी अमरजीत सखी के यहां रोजाना खास पूजा कार्यक्रम होते हैं। स्थानीय लोग बड़ी श्रद्धा और सम्मान के साथ यहां उपस्थित होकर देवी दर्शन का लाभ लेते हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि साध्वी की अनोखी साधना और मां दुर्गा की भक्ति ने पूरे क्षेत्र में एक सकारात्मक और धार्मिक वातावरण बना दिया है।  

भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम 

बाल्यकाल से शुरू हुई यह साधना आज वैष्णव किन्नर अखाड़ा के माध्यम से भक्ति, परंपरा और समाजसेवा का स्वरूप ले चुकी है। साध्वी अमरजीत सखी का मानना है कि मां के आशीर्वाद से ही जीवन में शक्ति और साहस मिलता है और यही संदेश नवरात्र का भी है बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय।

 

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