आदिवासी अस्तित्व बचाओ में निकाली गई बाइक महा आक्रोश रैली
रिपोर्ट:-रांची डेस्क••••••
रांची में रविवार को आदिवासी संगठनों के बैनर तले निकली आक्रोश बाइक महा रैली ने राजधानी की सड़कों पर अलग ही नजारा पेश किया। ‘आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा’ के नेतृत्व में आयोजित इस रैली में हजारों की संख्या में आदिवासी युवक-युवतियों ने बाइक लेकर हिस्सा लिया।
रैली मुख्य मार्ग होते हुए गजरी

रैली की शुरुआत मोराबादी मैदान से हुई और शहर के प्रमुख रास्तों अरगोडा चौक, बिरसा चौक, सुजाता चौक से होते हुए अल्बर्ट एका चौक तक पहुँची। पूरे मार्ग में प्रतिभागियों ने नारेबाजी करते हुए कुडमी महतो समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध जताया।
रैली का उद्देश्य
रैली का मकसद सरकार के समक्ष यह संदेश देना था कि कुडमी महतो समुदाय को किसी भी स्थिति में अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए। आयोजकों ने कहा कि यह केवल राजनीतिक दबाव और स्वार्थ की राजनीति है, जिसे आदिवासी समाज बरदाश्त नहीं करेगा।
आदिवासी नेताओं की चेतावनी
मंच से संबोधित करते हुए आदिवासी नेताओं ने दो टूक कहा कि “आदिवासी जन्म से होता है, बनाया नहीं जाता।” उनका कहना था कि यदि कुडमी महतो समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल किया गया तो वास्तविक आदिवासी समाज के अधिकार और अवसर प्रभावित होंगे। यह उनके अस्तित्व पर चोट होगी।
सुरक्षा व प्रशासनिक व्यवस्था
बाइक रैली को देखते हुए राजधानी में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। पुलिस बल की तैनाती रैली के पूरे मार्ग पर रही। ट्रैफिक पुलिस ने भी रूट डायवर्जन कर वाहन परिचालन को नियंत्रित किया ताकि कोई बड़ा जाम या अप्रिय स्थिति न हो।
राजनीतिक महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा राज्य की राजनीति में बड़ा असर डाल सकता है। आदिवासी समुदाय का कहना है कि उनके संवैधानिक अधिकार पहले से ही सीमित अवसरों में बंटे हैं, ऐसे में यदि नए समुदाय को आदिवासी सूची में शामिल किया गया तो उनका आरक्षण, नौकरियों और शिक्षा में अवसर सीधे प्रभावित होगा।
रैली का मुख्य उदश्य
रैली में शामिल संगठनों ने ऐलान किया कि यह शुरुआती चेतावनी है। यदि सरकार या केंद्र इस दिशा में कोई पहल करती है तो आदिवासी समाज सड़क से सदन तक आंदोलन करेगा। उन्होंने कहा कि ‘आदिवासी अस्तित्व बचाओ मोर्चा’ आने वाले समय में पूरे झारखंड और आस-पास के राज्यों में जन-जागरण अभियान चलाएगा।
